ज़मीन की रजिस्ट्री कभी इतनी सस्ती नहीं हुई थी! 31 May से लागू होगा नया नियम – Land Registry Rule
अगर आप ज़मीन या मकान खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए किसी खुशखबरी से कम नहीं है। सरकार ने रजिस्ट्री से जुड़ा एक बड़ा फैसला लिया है, जो 31 मई से लागू होने जा रहा है। इस नए नियम के लागू होते ही ज़मीन की रजिस्ट्री करना अब पहले से काफी सस्ता हो जाएगा।
ये बदलाव ना सिर्फ घर खरीदने वालों के लिए फायदेमंद है, बल्कि रियल एस्टेट सेक्टर को भी एक नई रफ्तार देने का काम करेगा। आइए जानते हैं कि क्या है यह नया नियम, किसे होगा सबसे ज्यादा फायदा, और क्यों कहा जा रहा है कि अब तक रजिस्ट्री कभी इतनी सस्ती नहीं हुई थी।
क्या है नया नियम? रजिस्ट्री के नियमों में बड़ा बदलाव
सरकार ने ज़मीन और संपत्ति की रजिस्ट्री से जुड़ी स्टांप ड्यूटी (Stamp Duty) और रजिस्ट्रेशन फीस को लेकर बड़ा फैसला किया है।
अब न्यूनतम दरों को कम किया गया है, जिससे कुल मिलाकर रजिस्ट्री पर लगने वाला खर्च घट जाएगा।
कई राज्यों ने पहले ही इस दिशा में कदम उठाया है और अब केंद्र सरकार की सिफारिश पर अन्य राज्य भी 31 मई से इस बदलाव को अपनाने की तैयारी में हैं।
स्टांप ड्यूटी में कितनी हुई कटौती?
स्टांप ड्यूटी ज़मीन की कीमत के आधार पर तय होती है, लेकिन अब इसका नया ढांचा कुछ इस तरह तय किया गया है:
-
पहले जहां स्टांप ड्यूटी 7% तक होती थी, अब यह 5% या उससे कम हो सकती है (राज्य के अनुसार अलग-अलग)।
-
महिलाओं को कुछ राज्यों में अतिरिक्त छूट भी दी जा रही है, जिससे वे महज 3% तक स्टांप ड्यूटी में रजिस्ट्री करवा सकती हैं।
-
रजिस्ट्रेशन फीस भी अब फिक्स नहीं रहकर कम शुल्क की सीमा में लाई जा रही है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए।
📌 इसका मतलब है कि अब 5 लाख की प्रॉपर्टी पर पहले जहां ₹35,000 से ज्यादा खर्च होता था, अब वह ₹20,000 या उससे कम में हो सकता है।
किन लोगों को मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा?
-
पहली बार घर खरीदने वाले लोग – जो लोग अब तक ज्यादा रजिस्ट्रेशन खर्च के डर से संपत्ति नहीं खरीद पा रहे थे, उनके लिए यह सुनहरा मौका है।
-
ग्रामीण क्षेत्र के निवासी – कई राज्यों में गांवों में रजिस्ट्री को बहुत सस्ता किया गया है ताकि लोग जमीन की वैध खरीद-फरोख्त को अपनाएं।
-
महिलाएं – महिला खरीदारों को खास छूट मिल रही है जिससे उन्हें ज्यादा रियायत मिल सकती है।
-
रियल एस्टेट निवेशक और डेवलपर्स – सस्ती रजिस्ट्री से उन्हें फ्लैट्स बेचने में मदद मिलेगी और खरीदारों की संख्या भी बढ़ेगी।
रियल एस्टेट सेक्टर में आएगी नई जान
कोरोना के बाद रियल एस्टेट सेक्टर थोड़ी सुस्ती से गुजर रहा था। घरों की कीमतें तो स्थिर रहीं लेकिन रजिस्ट्रेशन का खर्च अधिक होने से लोग निर्णय नहीं ले पा रहे थे।
अब सरकार का ये कदम इस सेक्टर को नई ऊर्जा देगा। लोग अब खुलकर जमीन या मकान की खरीदारी कर पाएंगे, जिससे बाजार में रौनक लौटेगी और रोजगार भी बढ़ेगा।
नया नियम कब से लागू होगा?
यह नया नियम 31 मई 2025 से लागू किया जाएगा। हालांकि कुछ राज्यों ने पहले ही इसे लागू कर दिया है, लेकिन बाकी राज्यों को भी अब केंद्र सरकार की सिफारिश के अनुसार इसमें बदलाव करना होगा।
📌 अगर आप भी किसी जमीन या मकान की खरीदारी का प्लान बना रहे हैं, तो 31 मई के बाद रजिस्ट्री कराना सबसे सस्ता और फायदेमंद सौदा साबित हो सकता है।
ऑनलाइन रजिस्ट्री प्रक्रिया को मिलेगा बढ़ावा
सरकार ने यह भी साफ किया है कि अब रजिस्ट्री की प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल बनाया जाएगा। यानी आप ऑनलाइन एप्लाई कर सकेंगे, रजिस्ट्रेशन की तारीख भी ऑनलाइन बुक कर पाएंगे और फीस का भुगतान भी डिजिटली किया जा सकेगा।
इससे:
-
बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी
-
भ्रष्टाचार में कमी आएगी
-
आम आदमी को सीधे-सीधे फायदा मिलेगा
कौन-कौन से दस्तावेज़ जरूरी होंगे रजिस्ट्री के लिए?
रजिस्ट्री के समय आपको कुछ दस्तावेज़ पहले से तैयार रखने होंगे, जैसे:
-
आधार कार्ड (खरीदार और विक्रेता दोनों का)
-
पैन कार्ड
-
जमीन से जुड़े पूर्व के दस्तावेज
-
बिजली बिल या संपत्ति कर रसीद (प्रूफ ऑफ एड्रेस)
-
बिक्री अनुबंध (Sale Agreement)
-
पासपोर्ट साइज फोटो
📌 ऑनलाइन आवेदन करते समय इन दस्तावेजों की स्कैन कॉपी अपलोड करनी होती है।
क्या इससे अवैध कब्जों में कमी आएगी?
जी हां। अक्सर ज्यादा रजिस्ट्रेशन खर्च की वजह से लोग बिना रजिस्ट्री के ही संपत्ति खरीद लेते थे, जिससे बाद में कानूनी विवाद और कब्जे की समस्या खड़ी हो जाती थी।
अब जब रजिस्ट्री सस्ती हो गई है, तो लोग अधिकाधिक कानूनी प्रक्रिया अपनाएंगे और यह क्लीन ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देगा।
राज्यवार क्या हो सकते हैं बदलाव?
-
उत्तर प्रदेश: महिलाओं को 2% की छूट
-
मध्यप्रदेश: ग्रामीण क्षेत्रों में 50% तक शुल्क में छूट
-
महाराष्ट्र: डिजिटल रजिस्ट्री को पूरी तरह लागू करने की योजना
-
बिहार, झारखंड, ओडिशा: ST/SC/OBC वर्गों के लिए विशेष रियायतें
(राज्यों की योजनाएं अलग-अलग हो सकती हैं, अंतिम नियम संबंधित राज्य सरकारों द्वारा तय किए जाएंगे)