पुश्तैनी जमीन या मकान बेचने से पहले किसकी अनुमति जरूरी होती है, जानिए इससे जुड़े कानून – Property Rights
भारत में जमीन और मकान का मामला सिर्फ संपत्ति का नहीं, भावनाओं और परंपराओं का भी होता है। खासतौर पर जब बात पुश्तैनी (ancestral) संपत्ति की आती है, तो कानून से लेकर परिवार तक कई पहलू जुड़ जाते हैं। बहुत बार देखा गया है कि पुश्तैनी ज़मीन या मकान को बेचते वक्त विवाद खड़े हो जाते हैं, और मामला कोर्ट तक पहुँच जाता है।
ऐसे में जरूरी है कि आप समझें कि पुश्तैनी संपत्ति क्या होती है, इसे बेचने के लिए किसकी अनुमति जरूरी होती है, और इससे जुड़े कानूनी नियम क्या कहते हैं। आइए सरल और स्पष्ट भाषा में जानते हैं इस पूरी प्रक्रिया को।
सबसे पहले समझिए – पुश्तैनी संपत्ति किसे कहते हैं?
पुश्तैनी संपत्ति वह होती है जो आपके पूर्वजों से आपको उत्तराधिकार के रूप में मिली हो। इसका मतलब यह है कि वह जमीन या मकान आपने खुद नहीं खरीदा है, बल्कि वह आपको आपके पिता, दादा या परदादा से मिला है।
भारतीय कानून के अनुसार, अगर संपत्ति बिना वसीयत के चार पीढ़ियों तक चली आई है (परदादा, दादा, पिता और बेटा), तो उसे पुश्तैनी संपत्ति माना जाता है।
📌 ध्यान दें: अगर आपके पिता ने खुद जमीन खरीदी है, तो वह उनकी व्यक्तिगत संपत्ति होगी, पुश्तैनी नहीं।
पुश्तैनी संपत्ति में किसका हक होता है?
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार, पुश्तैनी संपत्ति पर जन्म से ही सभी उत्तराधिकारियों (legal heirs) का समान हक होता है।
इसमें बेटों के साथ-साथ बेटियों को भी समान अधिकार प्राप्त हैं (2005 में किए गए संशोधन के बाद)।
🧾 मतलब यह है कि:
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बेटे-बेटियों को जन्म से ही संपत्ति में हिस्सा मिल जाता है
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पिता अकेले पुश्तैनी संपत्ति को बेच नहीं सकते
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अगर संपत्ति बेचनी है, तो सभी उत्तराधिकारियों की सहमति जरूरी होती है
क्या पिता बिना पूछे पुश्तैनी मकान या जमीन बेच सकते हैं?
नहीं।
अगर कोई व्यक्ति पुश्तैनी संपत्ति को बेचता है, तो उसे सभी सह-स्वामियों या उत्तराधिकारियों की अनुमति लेनी होगी।
अगर किसी एक उत्तराधिकारी की भी सहमति नहीं है, तो बिक्री को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है और उसे रद्द भी करवाया जा सकता है।
उदाहरण:
अगर दादा की पुश्तैनी जमीन है और पिता उसे बेचना चाहते हैं, तो उन्हें अपने सभी बच्चों की सहमति लेनी होगी – चाहे वो बेटा हो या बेटी।
केवल पिता की संपत्ति बेचने के नियम अलग हैं
अगर संपत्ति पुश्तैनी न होकर पिता की स्वयं अर्जित संपत्ति है (यानि उन्होंने उसे खुद खरीदा है), तो वे अपनी मर्जी से उसे किसी को भी दे सकते हैं, चाहे वसीयत बनाकर या बिना वसीयत के।
इस पर बच्चों का जन्म से कोई अधिकार नहीं होता।
📌 तो ध्यान रखें:
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पुश्तैनी संपत्ति → सभी उत्तराधिकारियों की सहमति जरूरी
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स्व अर्जित संपत्ति → मालिक का पूरा हक
अगर सभी उत्तराधिकारी नाबालिग हों तो?
अगर किसी पुश्तैनी संपत्ति के उत्तराधिकारी नाबालिग हैं (18 साल से कम उम्र के), तो उनकी तरफ से कोर्ट द्वारा नियुक्त कानूनी अभिभावक (legal guardian) को निर्णय लेना होता है।
लेकिन कोर्ट यह भी देखेगा कि क्या संपत्ति बेचना बच्चे के हित में है या नहीं। अगर नहीं, तो कोर्ट बिक्री की अनुमति नहीं देगा।
क्या वसीयत से पुश्तैनी संपत्ति का अधिकार रोका जा सकता है?
नहीं।
पुश्तैनी संपत्ति पर बच्चों का जन्म से अधिकार होता है, इसलिए इसे वसीयत के ज़रिए किसी एक उत्तराधिकारी को देना मान्य नहीं होता।
कोई भी पिता पुश्तैनी संपत्ति पर एकतरफा वसीयत नहीं बना सकता।
महिलाएं भी अब पूरी तरह उत्तराधिकारी हैं
2005 में हुए कानून संशोधन के बाद बेटियों को भी बेटों के समान पुश्तैनी संपत्ति में अधिकार मिला है।
इसका मतलब यह है कि:
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बेटी को भी हिस्से में जमीन या मकान मिलेगा
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उसकी अनुमति के बिना संपत्ति नहीं बेची जा सकती
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शादी के बाद भी बेटी का अधिकार बना रहता है
अगर ज़मीन जबरदस्ती बेच दी जाए तो क्या करें?
अगर किसी ने पुश्तैनी संपत्ति को बिना सभी उत्तराधिकारियों की अनुमति के बेच दिया है, तो आप निम्न कदम उठा सकते हैं:
✅ सिविल कोर्ट में केस दायर करें
✅ बिक्री को रद्द कराने की मांग करें
✅ संपत्ति में हिस्सेदारी का दावा करें
✅ बेचे गए हिस्से का मुआवजा मांगें
कोर्ट का निर्णय तब आपके पक्ष में आता है, जब आप यह साबित कर दें कि:
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संपत्ति पुश्तैनी थी
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आपने कभी अपनी सहमति नहीं दी थी
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आपकी हिस्सेदारी को नजरअंदाज किया गया
कौन-कौन से दस्तावेज़ जरूरी होते हैं पुश्तैनी संपत्ति में?
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उत्तराधिकार प्रमाणपत्र (Legal Heir Certificate)
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वारिसों की सूची (Family Tree)
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संपत्ति के कागज़ात (Registry, Khasra, Khatauni)
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राजस्व रिकॉर्ड (जैसे खतौनी)
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अगर वसीयत हो तो उसकी कॉपी